गीता का सार संपूर्ण जीवन दर्शन है. गीता के उपदेशों का अनुसरण करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी असफल नहीं होता है

गीता जीवन में धर्म, कर्म और प्रेम का पाठ पढ़ाती है. गीता संपूर्ण जीवन दर्शन है और इसका अनुसरण करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी निराश नहीं होता है

गीता में श्रीकृष्ण ने ऐसे लोगों की पहचान बताई है जो कभी भी भाग्य पर निर्भर नहीं रहते हैं

श्रीकृष्ण कहते हैं, केवल डरपोक और कमजोर लोग ही चीजों को भाग्य पर छोड़ते हैं लेकिन जो मजबूत और खुद पर भरोसा करने वाले होते हैं वे कभी भी नियति या भाग्य पर निर्भर नही रहते

गीता के अनुसार सिर्फ दिखावे के लिये अच्छा मत बनो, वो परमात्मा आपको बाहर से नहीं बल्कि भीतर से भी जनता है

श्रीकृष्ण का कहना है कि मुश्किलें केवल बेहतरीन लोगों के हिस्से में आती है क्योंकि वही लोग उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं

जो सरलता से मिलता रहे उसका महत्व नही रह जाता अक्सर खो देने के बाद समय, व्यक्ति और संबंध के मूल्य का आभास होता है

श्रीकृष्ण कहते हैं शरीर नश्वर हैं पर आत्मा अमर है. यह तथ्य जानने पर भी व्यक्ति अपने इस नश्वर शरीर पर घमंड करता है जो कि बेकार है. शरीर पर घमंड करने की बजाय मनुष्य को सत्य स्वीकार करना चाहिए

आप खुश हैं या दुखी, यह दोनों आपके विचारों पर निर्भर है. अगर आप प्रसन्न रहना चाहते हैं तो आप हर हाल में प्रसन्न ही रहेंगे

अगर आप नकारात्मक विचार लाते हैं, तो आप दुखी ही होंगे. विचार ही हर व्यक्ति का शत्रु और मित्र होता है