आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में बताया है कि जीवन में कौन सा काम अकेले, कब और किस के साथ करना चाहिए. ऐसा करने पर सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है
चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति को यात्रा हमेशा चार लोगों के साथ मिलकर ही करनी चाहिए. अगर आप अकेले यात्रा करेंगे तो ज्यादा जोखिम उठाना पड़ सकता है
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चाणक्य के अनुसार, दो लोगों के साथ में मिलकर पढ़ाई करनी चाहिए. ज्यादा लोगों के एक स्थान पर बैठकर पढ़ाई करने से सभी का ध्यान भटक सकता है
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ऐसे में आप ठीक से पढ़ाई नहीं कर सकते. वहीं, अगर दो लोग एक साथ पढ़ाई करते हैं तो किसी विषय में अटकने पर आप एक दूसरे की मदद कर भी सकते हैं और ले भी सकते हैं
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आचार्य चाणक्य के अनुसार, तपस्या तो हमेशा अकेले ही करनी चाहिए, क्योंकि, अगर आप कई लोगों के साथ तपस्या करेंगे तो आपका ध्यान तुरंत भटक जाएगा
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इसलिए तपस्या हमेशा अकेले में ही करना चाहिए. तपस्या ठीक से होगी तभी लक्ष्य हासिल होगा
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अगर आप किसी मनोरंजक कार्यक्रम पर जाना चाहते हैं तो 3 लोगों के साथ जाना चाहिए
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आचार्य चाणक्य का मानना है कि मनोरंजन के लिए लोगों की संख्या 3 से ज्यादा भी हो सकती है, लेकिन ऐसे में आपको मनोरंजन का पूरा आनंद नहीं मिल सकेगा
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