चाणक्य के अनुसार इस तरह के स्त्री या पुरुष सिर्फ एक ही मतलब के लिए साथ होते हैं. काले दिल वाले ऐसे स्त्री-पुरुष सिर्फ खुद की इच्छाओं और भावनाओं के बारे में सोचते हैं
जो स्त्री-पुरुष सिर्फ खुद के बारे में सोचते हैं. वो दरअसल एक दूसरे से भी मतलब के चलते साथ रहते हैं. जहां मतलब खत्म हुआ स्त्री, पुरुष को और पुरुष स्त्री को छोड़ देती है
चाणक्य के अनुसार ऊंचे पद पर बैठी स्त्री या फिर पुरुष किसी की भावनाओं को समझें ये जरूरी नहीं है. हमेशा नियम की दुहाई देकर भावना शून्य होकर ऐसे लोग कड़े से कड़े फैसले लेते हैं.
ऐसे में चाहे सामने वाले की पूरी जिंदगी बर्बाद हो जाए. ऐसे लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता है. लेकिन ऐसे लोगों को ये याद रखना चाहिए कि समय का पहिया जब घूमता है तो कर्म ही साथ देते हैं
चाणक्य कहते हैं, कि जैसे यमराज मृत्यु के समय किसी को नहीं छोड़ते वैसे ही ऐसे गुण वाले स्त्री पुरुष भी किसी पर तरस नहीं खाते. वक्त आने पर ये कब किस को डस लें, किसी को पता नहीं चलता