चाणक्य कहते हैं चाहे कितना ही बुरा वक्त क्यों न आ जाए ऐसे हालातों में मनुष्यों को किस तरह का स्वभाव नहीं अपनाना चाहिए वरना अपने भी फायदा उठाने लगते हैं
चाणक्य के बताए रास्तों पर चलने से लोगों के कठिन से कठिन काम भी आसानी से निपट जाते हैं
चाणक्य कहते हैं चाहे कितना ही बुरा वक्त क्यों न आ जाए ऐसे हालातों में मनुष्यों को किस तरह का स्वभाव नहीं अपनाना चाहिए वरना अपने भी फायदा उठाने लगते हैं.
चाणक्य ने मनुष्य के अधिक सीधेपन की तुलना जंगल के उस वृक्ष से की है जिसे काटना आसान होता है. यानी कि जो पेड़ सीधे होते हैं उन्हें सबसे पहले काटा जाता है क्योंकि उसमें मेहनत कम लगती है.
जरूरत से ज्यादा सीधापन भी हानिकारक है. परिस्थिति के अनुरूप मनुष्य को चालाक और चतुराई दिखाना अति आवश्यक है नहीं तो पराए तो क्या अपने भी फायदा उठाने लगते हैं
चाणक्य ने ज्यादा सीधे स्वभाव को मूर्खता की श्रेणी में माना है. वह कहते हैं कि बुरे वक्त में अगर मनुष्य अपना ये स्वभाव नहीं त्यागता तो उसे हर समय कष्ट से गुजरना पड़ता है