चाणक्य नीति में महिलाओं और पुरुषों के संबंधों के साथ-साथ उनके गुणों के बारे में भी उल्लेख किया है

आचार्य चाणक्य के अनुसार पति और पत्नी के एक दूसरे के पूरक है, लेकिन आपसी तालमेल में अगर कमी हो तो, पति-पत्नी का रिश्ता कभी भी बिना तालमेल के नहीं  चल सकता

अगर कोई व्यक्ति की आचार्य चाणक्य की बातों का अनुसरण अपने जीवन में करता है, तो वह जीवन में कभी गलती नहीं करेगा और सफल मुकाम पर पहुंच सकता है

जिस स्त्री का संबंध किसी परपुरुष से हो या जिस स्त्री का चरित्र अच्छा न हो उसके लिए  उसका पति सबसे बड़ा शत्रु होता है. चाणक्य के अनुसार गलत काम करने वाली पत्नी अपने पति को अपना दुश्मन मानने लगती है

यदि पति या पत्नी में से एक या दोनों गलत कामों में शामिल हैं, तो निश्चित इसका प्रभाव दूसरे पर जरूर पड़ता है. मतलब पति की गलती हो तो पत्नी पर असर पड़ता है और पत्नी की गलती हो तो पति पर

यदि पति की पत्नी बहुत लालची हो और आए दिन कुछ न कुछ मांग करती रहती है, 

तो ऐसे में यदि पति पत्नी को फिजूलखर्ची से रोकता है या किसी अन्य व्यक्ति या रिश्तेदार ने पति से धन मांग लिया ऐसे में पत्नी के लिए पति शत्रु केसमान हो जाता है

अगर घर में स्त्री मूर्ख है यानि बिना सोचे समझे काम करती है तो वह किसी के मुंह से ज्ञानवर्धक बातें नहीं सुन सकती, चाहे वह उसका पति ही क्यों न हो. ज्ञान की बात कहने पर सामने वाला शत्रु समान हो जाता है 

चाणक्य नीति: आचार्य के अनुसार अगर पत्नी ये बातें करने लगे तो पती को समझ लेना चाहिए की बुरा वक्त शुरू हो गया है.

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