कुछ पेरेंट्स को बात-बात पर अपने बच्चे पर चिल्लाने की आदत पड़ जाती है, जिसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है

काम का स्ट्रेस ज्यादा होने के कारण पेरेंट्स कई बार बच्चे से ऊंची आवाज में बात करने लग जाते हैं, जिससे बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है

बहुत ही कम पेरेंट्स को पता है कि बच्चे से ऊंची आवाज में बात करना बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है

कुछ पेरेंट्स काम के प्रेशर के कारण अपने बच्चों पर बार-बात पर चिल्लाते रहते हैं, जो बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हो सकता है

ऐसे बच्चों को इसी उम्र तनाव व एंग्जायटी हो जाती है और यहां तक कि कुछ बच्चे डिप्रेशन में भी चले जाते हैं

कई बार पेरेंट्स को भी बच्चों पर बार-बार चिल्लाने की आदत पड़ जाती है, जिसका बच्चे पर गहरा असर पड़ता है

ऐसे में कई बार बच्चे के अंदर आत्मसम्मान की कमी हो जाती है और उसे अकेलापन लगने लगता है। ऐसे बच्चे अक्सर दूसरों के साथ खुलकर बात नहीं कर पाते हैं

कुछ बच्चे शरारती हो जाती हैं और इस कारण पेरेंट्स उन्हें बैठकर समझाने की बजाय बार-बार उन पर चिल्लाने लग जाते हैं। ऐसा करने के कारण बच्चे के अंदर पॉजिटिविटी की कमी हो जाती है

बार-बार बच्चे पर चिल्लाना उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है और बच्चे को लगता है कि वह जो भी करेगा उसके पेरेंट्स उसे जरूर डांटेंगे

ऐसा विचार आने के बाद बच्चे के अंदर आत्मविश्वास की कमी हो जाती है और सिर्फ घर पर ही नहीं बल्कि स्कूल में भी इसके कारण उसका प्रदर्शन कम हो जाता है

जिन पेरेंट्स को अपने बच्चों पर बार-बार चिल्लाने की आदत है, तो उनके बच्चे अक्सर उल्टी हरकतें करने लग जाते हैं। यही कारण है कि बच्चों में अनुशासन की कमी होने लगती है