भगवान् के विषय का यथार्थ ज्ञान ही तप है , भगवान् कहते हैं कि इस प्रकार मुझे जानकर बहुत लोग भजन करके तर गए 

भगवान् का यह कानून है कि जो मुझे भजता है उसे मैं भजता हूँ , जिसे मैं भजूँ उसके उद्धार में क्या शंका है ?  मेरी तो सामर्थ्य है मैं जिसे चाहूँ  वह मेरे पास आ सकता है

अंगद ने हनुमान जी से कहा कि समय समय पर भगवान् को मेरी याद दिलाते रहना, जिसे भगवान् याद करते हैं उनका बड़ा भारी भाग्य होता है 

अंतकाल समय भगवान् के भजन का प्रभाव यह बताया गया है कि उससे कल्याण हो जाता है, उसी प्रकार भगवान् के हाँथ मरने से मुक्ति हो जाती है 

चाहे भगवान् का भजन करता हुआ जाये, चाहे नाम जप करता हुआ जाये, चाहे सत्संग करता हुआ जाये, उसका कल्याण हो जायेगा 

आप अपनी शक्ति के अनुसार भगवान् को कहाँ चाहते हैं ? अन्य सब काम छोड़कर भगवान् में मन  लगा दें 

भक्ति सहित निष्काम कर्म के मार्ग को जानना कोई कठिन बात नहीं है, जो मनुष्य यह समझ जाये कि इसमें अपना बहुत ज्यादा लाभ है फिर उस आदमी को भरी नहीं लगेगा

अपना मित्र कहता है कि इसमें इतना लाभ है, मेरे पर विश्वास करके काम कर लो तो क्या बिलम्ब है, यदि लाभ नहीं भी दिखे चाहे जीवन नष्ट हो जाये उसकी कुछ भी परवाह न करें 

केवल विश्वास करके अच्छे पुरुषों के बताये हुए मार्ग के अनुसार ही चलने की चेष्टा करें, उसमे कुछ भी विचार नहीं करें 

उद्देश्य तो आपका बहुत खोटा है, परमात्मा की दया की बात अलग है, यदि उद्देश्य अच्छा होता तो उद्धार में विलम्ब का क्या काम है ?