आपने अपनी जिंदगी में कई बार बदले की भावना से काम किया होगा, कभी शतरंज या क्रिकेट में हारे तो अगले मैच में बदला लेने की कोशिश की, किसी ने आपको भला – बुरा कहा तो आपने बदला लेने की सोची होगी, किसी ने आपको नुकसान पहुँचाया तो आपके जहन में बदले का ख्याल आया होगा I
ऐसे लोग बिरले ही मिलेंगें जो अपने साथ गलत होने पर बदले की भावना से न भर गए हों, बदले की भावना जोर मरते ही ये लगता है कि बदला लेने से आपको जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई हो जाएगी I

बदले की भावना आती कहाँ से ?
बदले की भावना हर इंसानी समाज में देखने को मिलती है, लोग गुस्से से पागल हो कर दूसरों को नुकसान पहुँचाने का ख्याल अपने जहन में लाते हैं I रिसर्च बताता है कि दुनियाँ में बीस फीसदी हत्याओं के पीछे बदले की भावना होती है I कई बार हमारी राजनीति पर भी बदले की भावना का सीधा असर देखने को मिलता है I
मन में बदले की भावना में आने पीछे कई बार शराब, तो कई बार अपमान और अक्सर खुदगर्जी बड़ी वजह होती है I हिंसक वर्ताव और बदले की भावना को अलग करके नहीं देखा जा सकता है I
हिंसक घटना से पहले बहुत कुछ होता है, अक्सर हिंसा का ख्याल जहन में पहले से खिचता है, इंसान जज्बाती होकर काम करते हैं, किसी का वर्ताव बुरा लगने पर भी लोग हिंसक हो उठते हैं, बेइज्जती होने की सूरत में बदले की भावना प्रबल हो जाती है I
बदला लेकर लोग ख़ुशी महसूस करते हैं, बल्कि कई बार तो ख़ुशी पाने की उम्मीद में ही बदला लेते हैं I बदला लेने वाले इंसान को फौरी लुत्फ़ तो आता है किन्तु ये लुत्फ़ वो लम्बे समय तक नहीं महसूस कर पता I
हम अपने गुस्से और बदले की भावना पर काबू पा सकते हैं, इसके लिए अपने दिमाग को ट्रेनिंग देनी होगी, उसे बदले की भावना से काम करने के नुकसान समझने होंगे
बदले की भावना से काम करने के नुकसान
शेक्सपियर ने कहा था कि “अपने दुश्मन के लिए नफरत की भट्टी को इतनी तेज मत करो कि आप खुद ही उसमे जल जाओ” I
जब हम अपने दुश्मनो से नफरत करते हैं, तो हम उन्हें अपने ऊपर हावी होने की शक्ति प्रदान कर रहे होते हैं I हमारी नींद पर, हमारी सेहत पर, हमारे चैन पर, हमारी भूख पर, हमारे ब्लडप्रेशर पर और हमारे सुख पर I अगर हमारे दुश्मनों को यह बात पता चल जाये कि उनके कारण हम कितने चिंतित हैं, परेशान हैं और दुःखी हैं, तो वे शायद खुशी के मारे नाचने ही लगेंगे I हमारी नफ़रत से उन्हें कोई भी नुकसान नहीं हो रहा है, किन्तु यह नफ़रत हमारे अपने दिन – रात को नरक बना रही हैI
अगर कोई व्यक्ति अपने निजी स्वार्थवश हमारा लाभ उठाने की कोशिश करता है तो हमें तुरन्त उससे दूरी बना लेनी चाहिए, परन्तु उससे बदला लेने की कोशिश नहीं करनी चाहिए I यदि हम उससे बदला लेने की कोशिश करते हैं, तो हम उस व्यक्ति को जितना नुकसान पहुँचाते, उससे कहीं ज्यादा नुकसान हम खुद को पहुँचाते हैं I
बदला लेने की कोशिश से हमे अनेकों प्रकार से नुकसान होता है I हमारी सेहत खराब हो सकती है I हाई ब्लडप्रेशर के लोगों के व्यक्तित्व का प्रमुख लक्षण द्वेष, क्रोध और चिंता होता है I जब ये ज्यादा समय तक बना रहता है तो हाई ब्लडप्रेशर की बीमारी स्थायी हो जाती है और कुछ समय बाद हृदय रोग भी हो जाता है I
इसके अतिरिक्त बदला लेने की कोशिश करने से हमारे अन्य कार्य भी अव्यवस्थित होते हैं, धन का नुकसान होता है, हमारी ऊर्जा का नुकसान होता है I

वचाव बदले की भावना से
प्रतिशोध लेने से आप और आपके शत्रु के बीच कोई फर्क नहीं रहता, हाँ इसके विपरीत उसको क्षमा करके जरूर आप उससे भिन्न, अलग नजर आ सकते हैं, कहते भी हैं कि बदला लेना साहस की नहीं अपितु कमजोरी की निशानी होती है I
वैसे भी सामने वाले को नुकसान पहुँचाने से आपको कोई फायदा नहीं होता उलटे बदले की आग अंदर ही अंदर आपको जलती रहती है, आप दिन – रात इसी जुगत में रहते हैं कि सामने वाले को कैसे नुकसान पहुँचाया जाये, इससे आपका मन दूसरी चीजों में लगना बंद हो जाता है और आप खुद ही अपनी सफलताओं के रास्ते बंद कर देते हैं I इसलिए यदि आप आगे बढ़ना चाहते हैं तो बीती बातों भूलना ही बेहतर होगा, इससे आपके मन का बोझ उतर जायेगा और आपको असीम शांति मिलेगी I
बदला लेने की कोशिश से हमेशा बचना चाहिए I अपने दुश्मनों को माफ कर उन्हें भूल जाना चाहिए I अपने दुश्मनों को माफ करने और उन्हें भूलने का एक अचूक तरीका है कि ‘किसी ऐसे कार्य में जुट जाना, जो हमसे बहुत बड़ा हो’ तब हम अपमानों और शत्रुओं की परवाह नहीं करेंगें, क्योंकि हम अपने विराट लक्ष्य के आलावा बाकी हर चीज भूल जायेंगें I

बदला लेने की नहीं बदलाव लाने की सोच रखो I
किसी ने कहा था कि “अपने शत्रुओं से प्रेम करो, जो तुम्हे शाप देते हैं, उन्हें आशीर्वाद दो, जो तुमसे नफरत करते हैं, उनकी भलाई करो और जो तुम्हारा शोषण तथा अपमान करते हैं, उनके लिए प्रार्थना करो” I
अपने दुश्मनों से बदला लेने की कोशिश न करें, क्योंकि ऐसा करते समय हम उन्हें जितना नुकसान पहुँचाते हैं, उससे ज्यादा खुद को पहुँचाते हैं I इसकी जगह यह करें कि जिनको हम पसंद नहीं करते हैं , उनके बारे में सोचने में एक मिनट भी बर्बाद न करें I
अंत में हमें उम्मीद है कि अब आपको इस बात का बोध हो ही गया होगा कि प्रतिशोध से कुछ भी हासिल नहीं होता, यह तो आगे बढ़ने में एक अवरोध की तरह ही होता है, इसलिए आज से ही आप अपने मन से बदले की भावना को निकाल कर खुद को बदल लें I हम जानते हैं कि यह काम आसान नहीं है यह भी किसी पहाड़ी को काटने जितना ही मुश्किल है, किन्तु यदि आप इस पहाड़ी को काट कर सुरंग बनाने में कामयाब हो गए तो फिर आपके लिए भी सफलताओं के द्वार खुल जायेंगे I
तो अगली बार जब भी आपके जहन में बदले का ख्याल आये, तो इसके नफे – नुकसान को पहले टोल – मोल लें I
ना समझ लोग बदला लेने में लगे रहते हैं और समझदार लोग बुलंदियों को छूने में I
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